यह कहानी 19वीं सदी के उस समय की है जब औरतो को मर्दो से छोटा या युं कहे नीचा माना जाता था। उसी समय संगिनी नामक एक बहुत सुंदर और पवित्र लड़की ने जन्म लिया। और जन्म लेने के तुरंत बाद ही उसे लोगो ने बोझा समझ लिया। ऐसे समय में उसे कभी भी वो अपनापन नही मिला जो वो हमेशा से चाहती थी। जिसके लिये वो तड़पा करती थी। उसे कभी भी पढ़ने, लिखने, अरे! बोलने तक का भी अधिकार न मिल पाया। उससे बस एक ही बात कही गई की उसे सबका हुकम मनना है। क्युकि इसी के लिए उसका जन्म हुआ है। यह एक बहुत ही असमन्य प्रेम कथा है दो लोगो की संगिनी और नरेंद्र की। नरेंद्र जो एक बहुत बड़े जमींदार का एकलौता बेटा है। जिसको कभी भी किसी चीज की कोई कमी नही हुई। वो संगिनी की खूबसूरती देख कर उस पर मोहित हो गया। नरेंद्र को बचपन से बड़े ही लाड़ प्यार से रखा गया था। उस की हर मांग को सब ने आपने सिर आँखो से लगाकर रखा था। पर इस बार उसक