सांध्यकाल

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झिलमिलाता‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌-------

सूर्य रश्मि तोरण !

संध्या का आगमन ।

लोहित गगन ।

श्वेत बक ‌– पंक्ति !

जैसे एकता की उक्ति!!

खग कुल का नीड़ गमन ,

श्रम का समापन ।

निशा निमंत्रण ।

खिलेगी जब चाँदनी !

घूँघट में होगी ,

सुहाग भरी रजनी ।

सौभाग्य – सुख भरा मन !

बेनी डुलायेगा हौले पवन ।

सब का विश्राम !

काम – काज पर विराम !!

मुँदे नयन में होगा सपनों का संसार !!

बाकी सब असार ।

-शिव कुमारी राय ( शर्मा ) 

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⏰ Last updated: Mar 31, 2021 ⏰

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KAVITA SANGRAHWhere stories live. Discover now