झिलमिलाता -------
सूर्य रश्मि तोरण !
संध्या का आगमन ।
लोहित गगन ।
श्वेत बक – पंक्ति !
जैसे एकता की उक्ति!!
खग कुल का नीड़ गमन ,
श्रम का समापन ।
निशा निमंत्रण ।
खिलेगी जब चाँदनी !
घूँघट में होगी ,
सुहाग भरी रजनी ।
सौभाग्य – सुख भरा मन !
बेनी डुलायेगा हौले पवन ।
सब का विश्राम !
काम – काज पर विराम !!
मुँदे नयन में होगा सपनों का संसार !!
बाकी सब असार ।
-शिव कुमारी राय ( शर्मा )
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KAVITA SANGRAH
Poetryमैं शिवकुमारी राय, अपनी कविताओं के संग्रह से एक छोटी सी कविता आप सभी के लिए प्रेषित कर रही हूँ l मेरा यह छोटा सा प्रयास आपको कैसा लगा? हमें कमेंट करके बताएं और यदि अच्छा लगा तो अपना मंतव्य अवश्य दें l धन्यवाद,