बारिश की बूँदे आज फिर
मेरे चेहरे को छू गयी
लगता हैं शायद आसमां
को ज़मी मिल गयी...जब-जब मैंने तुझको पुकारा हैं
तू बूंद बन पलकों को छू जाता हैंना जानें क्या अपना रिश्ता यूँ ,
तेरे आने से दिल को एक सुकून
आता हैं!
Chapter 23
बारिश की बूँदे आज फिर
मेरे चेहरे को छू गयी
लगता हैं शायद आसमां
को ज़मी मिल गयी...जब-जब मैंने तुझको पुकारा हैं
तू बूंद बन पलकों को छू जाता हैंना जानें क्या अपना रिश्ता यूँ ,
तेरे आने से दिल को एक सुकून
आता हैं!