पल-भर

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इन क्षण दे अवसान विच,

दुनिया ठहरी कुछ सो,

पर छूटे समय विच,

कहानियां खुद बयान हो।

बादल इकट्ठे हो जंदे,

हर इक कहानी नाल,

नदी नु वि सिख जावे,

किवे बहना, किवे बढ़ना दियां चाल।

पलक झपकदे ही,

समय दौड़ पेहजदा ए,

तेरी याद पिच्छे रह जंदी,

कुझ मीठी, कुझ खरियां रहवां सज जांदी ए।

पर फिर वि उस शांति विच,

इक नवा अध्याय खुलदा ए,

जीवन दी नदी बहनी जारी रखदी ए,

घुमंतर रास्ते ते पत्थर दियां रहवां च।

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